समाजसेवी एवं उद्योगपति अजीतकुमार सिंह कासलीवाल का निधन समाजसेवी एवं उद्योगपति अजीतकुमार सिंह कासलीवाल का निधन इन्दौर। दिगंबर जैन समाजरत्न स्वर्गीय श्री देवकुमारसिंह कासलीवाल के बड़े पुत्र डॉक्टर अजीतकुमार सिंह कासलीवाल इन्दौर का दिनांक 19 नवम्बर को प्रातः 9: 30 पर निधन हो गया वे 82 वर्ष के थे। अपराह्न 4 बजे उनके पुस्तैनी स्थान कस्तूरवा टीकीज परिसर में अ… November 21, 2020 • DR. MAHENDRA KUMAR JAIN
जैन दर्शन सत्य तक पहुंचने का सच्चा मार्ग है : श्रमणाचार्य विनिश्चय सागर जैन दर्शन सत्य तक पहुंचने का सच्चा मार्ग है : श्रमणाचार्य विनिश्चय सागर बड़ागांव। जैन दर्शन सत्य तक पहुंचने का सच्चा मार्ग है। यह दर्शन व्यक्ति को हिंसा, झूठ, चोरी, कुशील, परिग्रह से हटाकर सद्मार्ग में लगाने का भाव जाग्रत करते हुए उसे सत्य तक पहुंचाने का सच्चा मार्ग प्रशस्त करता है। ये विचार दरगुव… November 05, 2020 • DR. MAHENDRA KUMAR JAIN
रजत जयंती स्मारिका 'संस्कार' का हुआ विमोचन रजत जयंती स्मारिका 'संस्कार' का हुआ विमोचन अज्ञान तिमिर दूरकर प्रत्येक प्राणी के जीवन में ज्ञान की ज्योति जलाएं : मुनि श्री सुप्रभसागर ललितपुर। नगर के अटा जैन मंदिर में विराजमान परम पूज्य श्रमणाचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज के प्रभावक शिष्य मुनि श्री सुप्रभसागर जी महाराज एवं नगर गौरव मुनि श… November 03, 2020 • DR. MAHENDRA KUMAR JAIN
परिपक्व व्यक्तित्त्व कभी असफल नहीं होता : गणाचार्य विरागसागर जी मुनिमहाराज अशुभ से शुभ नाकामयाबी से कामयावी, नैराश्य से आशावान की ओर किया गया प्रस्थान मनुष्य एक परिपक्व व्यक्तित्त्व की पहचान देने लगता है। जब शुभत्व का जागरण होता है तब व्यक्ति में आत्मगुण अनावृत्त होते हैंवह मिथ्यादृष्टि से व्रती, व्रती से महाव्रती, महाव्रती से वीतरागी बनने का पराक्रम करता हैसमत्वदर्शिता प… October 29, 2020 • DR. MAHENDRA KUMAR JAIN
जिसका काम उसी को साधे - पूज्यसागर (पेरक प्रसंग) जिसका काम उसी को साधे - पूज्यसागर जाट और बनिये में अच्छी दोस्ती थी । जाट खेती करता था । बनिया अपने व्यापार में मस्त रहता था। एक साल बारिश नहीं हुई। वर्षा नहीं होने से जाट बड़ा चिंतित रहने लगा। खेती किए बिना परिवार का पालन-पोषण कैसे होगा? एक दिन वह अपने व्यापारी मित्र के पास गया और … October 18, 2020 • DR. MAHENDRA KUMAR JAIN
चमत्कृत भक्तामर स्तोत्र और उसकी विचित्र लेखन कथा चमत्कृत भक्तामर स्तोत्र और उसकी विचित्र लेखन कथा . स्तुति-स्तोत्रों की रचना प्रायः विशेष उद्देश्यों को लेकर हुई है। जब जब किसी महान व्यक्ति पर संकट आया उन्होंने अपने इष्टदेव का स्मरण किया और संकट से निवारण हेतु उनकी स्तुति की है। जैन संस्कृति में भी यही इतिहास प्राप्त होता है कि अनेक महान आत्माओं प… October 16, 2020 • DR. MAHENDRA KUMAR JAIN