चा.च.आचार्य श्री शांतिसागरजी पर बृहद् राष्ट्रीय विद्वत् गोष्ठी यरनाल में सम्पन्न यारनाल। चारित्रचक्रवर्ती आचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज मुनि दीक्षा शताब्दी महोत्सव के अवसर पर राष्ट्रीय विद्वत् संगोष्ठी दिनांक २७ से ३० दिसम्बर २०१६ में संपन्न हुई। मंगल सान्निध्य वात्सल्य वारिधि पंचम पट्टाचार्य आचार्य श्री वर्धमानसागर जी महाराज का रहा। कुशल नेतृत्व स्वस्तिश्री चारुकीर्ति भट्टारक महास्वामी जी श्रवणबेलगोला ने प्रदान किया। सारस्वत अतिथि स्वस्तिश्री देवेंद्रकीर्ति भट्टारक स्वामी जी हमचा रहे। जिनसेन भट्ठारक स्वामी जी नांदिनी आदि समस्त भट्ठारक स्वामीजियों को भी आमंत्रित किया गया था। इस संगोष्ठी में ६३ विद्वानों ने भाग लिया। पांच पुस्तकों, तीन पत्र-पत्रिकाओं का विमोचन किया गया। चारित्र चक्रवती स्मृतिग्रन्थ निकालने का संकल्प किया गया और स्वस्ति श्री चारुकीर्ति भट्टारक महास्वामी का अभिवंदन ग्रन्थ प्रकाशित करने की उद्घोषणा की गई। __ उद्घाटन सत्र दिनांक २७ दिसंबर २०१६ को प्रातः १० : ३० से हुआ। सर्वप्रथम आचार्य श्री वर्धमानसागर जी महाराज ससंग के साथ आगत सभी विद्वान्, अतिथि व जन सामान्य एक विशाल शोभायात्रा के साथ सभामंडप पर पहुंचे। पहले ध्वजारोहण हुआ, इसके बाद फीता खोलकर मंडप का लोकार्पण हुआ, तत्पश्चात उद्घाटन सत्र प्रारंभ हुआ। विद्वत् सम्मेलन के सर्वाध्यक्ष डॉ. श्रेयांशकुमार जैन बड़ौत थे, सत्र का संचालन डॉ. अनुपम जैन ने किया। सर्वप्रथम मंगलाचरण डॉ. सुशीलचंद्र जैन-मैनपुरी ने किया, अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन किया, तदुपरान्त आचार्यश्री का पादप्रक्षालन व शास्त्र दोपहर २:०० बजे से प्रथम सत्र प्रारंभ हुआ। सत्र का संचालन डॉ. सुरेंद्र भारती ने किया। सत्र के अध्यक्ष डॉ. शीतल जी जयपुर रहे। आलेख का वचन- प्राचार्य अजीत प्रसाद मूडबिद्री ने कन्नड़ में किया, डॉ. टी.आर. जोडट्टी धारवाड़ ने भी कन्नड़ में अपना आलेख वाचन किया। उपरान्त डॉ. प्रेमसुमन जी जैन-उदयपुर, पंडित भरत काला-मुंबई, डॉ. ज्योति -खतौली ने अपना आलेख वाचन हिन्दी में किया। द्वितीय सत्र २७ दिसंबर को अपराह्न ४ : ०० बजे प्रारंभ हुआ। अध्यक्ष प्रोफेसर प्रेमसुमन जी उदयपुर रहे, संचालन श्री राजेंद्र जैन महावीर-सनावत ने किया। आलेख वाचन श्री रावसाहेब पाटील-सोलापुर ने तथा श्री धनदत्त बोरगांवे-मिरज ने मराठी में किया, डॉ. पी.जी. केम्पणावर ने कन्नड़ में आलेख वाचन रकुमार-श्रवणबेलगोला ने कन्नड़ में आलेख वाचन किया। पं. आनंद प्रकाश शास्त्री-कोलकाता, डॉ. शीतलचंद जी-जयपुर, डॉ. कमलेश जैन- जयपुर, डॉ. उज्ज्वला जैन - औरंगाबाद ने हिंदी में आलेख वाचन किया। २८ दिसंबर को प्रातः ८ : ०० बजे सत्र प्रारंभ हुआ। इस सत्र की अध्यक्षता पं. अरुणकुमार जैन-सांगानेर ने तथा संचालन ब्र. जयकुमार जैन 'निशांत' टीकमगढ़ ने किया। इससत्र में डॉ. महेंद्रकुमार जैन 'मनुज'- इंदौर ने आचार्यश्री शांतिसागर जी पर तिर्यंचों कृत उपसर्ग और उसका प्रभाव विषय पर आलेख वाचन किया। तदुपरान्त श्री विजय दादा अवती-जयसिंहपुर, डॉ. सुरेश कुमार जैन-मैसूर, डॉ. अप्पण्णा हंजे-गदग, इंजी. दिनेश जी भिलाई, डॉ. राजेंद्रकुमार महावीर-सनावद, डॉ. अनुपम जैन-इंदौर के आलेख वाचन हुए। चतुर्थ सत्र की अध्यक्षता डॉ.वृषभप्रसाद जैन-लखनऊ ने तथा संचालन पं. आनंद प्रकाश जैन- कोलकाता ने किया। आलेख वाचन श्री सुषमा रोटे-कोल्हापुर, श्री सुनेत्रा नकाटे-पुणे, डॉ. अभिजीत अलगौडर शास्त्री-मैसूर, श्री राजेंद्र पाटील शास्त्री श्रवणबेलगोला, ब्रह्मचारी राकेश भैया जी-स -सांगानेर जयपुर ने कियासंचालन श्री श्रीधर हेर वार्ड कोल्हापुर मराठी में मराठी में विनोद कुमार जैन छतरपुर वाराणसी उदयपुर शास्त्री भागवत २८ तारीख के अध्यक्ष विनोद कुमार जी महावीर शास्त्री सोलापुर मराठी पंचम सत्र की अध्यक्षता डॉ. जीवंधरकुमार होतपेटे ने तथा संचालन डॉ. शांतिकुमार मैसूर ने किया । इस सत्र में प्राचार्य श्रीधर हेरवाडे-कोल्हापुर, डॉ. पुरंदत्त चौगुले-कराड, डॉ.सुजाता जैन-बेंगलुरु, डॉ. रेखा जैन, जैन विश्वविद्यालय बेंगलुरु, ब्रह्मचारी विनोद कुमार जी जैन-छतरपुर, डॉ. अमित जैन आकाश-वाराणसी, सुमित जी जैन-उदयपुर, पंडित मनोज शास्त्री-भगवां ने अपने आलेख प्रस्तुत किए। इसी तरह अन्य महानुभावों ने अन्य आठ सत्रों की विधिवत् अध्यक्षता व संचालन ने अपने आलेखों का वाचन किया। ३० दिसम्बर को समापन सत्र में सभी विद्वानों व विशेष अतिथियों का सम्मान किया गया, चारित्र चक्रवती स्मृतिग्रन्थ निकालने का संकल्प दोहराया गया और स्वस्ति श्री चारुकीर्ति भट्टारक महास्वामी का अभिवंदना ग्रन्थ प्रकाशित करने की उद्घोषणा की गई। -आशा जैन-इन्दौर, परियोजनाधिकारी ट किया विद्वानों ने किया। स्वागतगान नन्हीं नन्हीं बालिकाओं ने णमोकार-गीत नृत्य प्रस्तुति के साथ किया। इस सत्र के असम केंद्रीय विश्वविद्यालय तेजपुर असम के कुलपति प्रोफेसर विनोदकुमार जैन ने मुख्य आतिथ्य ग्रहण कियास । उद्घाटन वक्तव्य डॉ. श्रेयांशकुमार जैन ने किया, विषय प्रस्तुति विजयनगर कृष्णदेव राय विश्वविद्यालय बल्लारी के कुलपति डॉ. सिद्धअलगुरु व डॉ. सुशीलचंद्र जैन मैनपुरी ने की। हमचा के भट्ठारक स्वस्ति श्री देवेंद्रकीर्ति भट्टारक स्वामी जी का होंने अपने उद्बोधन में बताया कि १०० वर्ष में पहली बार इस परंपरा के किसी आचार्य का चातुर्मास वर्षायोग यरनाल की पवित्रभूमि पर हो रहा हैतदोपरांत वात्सल्य वारिधि पंचम पट्टाचार्य आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज जी महाराज का मंगल प्रवचन हुआ।
चा.च.आचार्य श्री शांतिसागरजी पर बृहद् राष्ट्रीय विद्वत् गोष्ठी यरनाल में सम्पन्न