जैन दर्शन सत्य तक पहुंचने का सच्चा मार्ग है : श्रमणाचार्य विनिश्चय सागर

जैन दर्शन सत्य तक पहुंचने का सच्चा मार्ग है : श्रमणाचार्य विनिश्चय सागर


 














बड़ागांव। जैन दर्शन सत्य तक पहुंचने का सच्चा मार्ग है। यह दर्शन व्यक्ति को हिंसा, झूठ, चोरी, कुशील, परिग्रह से हटाकर सद्मार्ग में लगाने का भाव जाग्रत करते हुए उसे सत्य तक पहुंचाने का सच्चा मार्ग प्रशस्त करता है। ये विचार दरगुवां मध्यप्रदेश में विराजमान श्रमणाचार्य श्री विनिश्चयसागर जी महाराज ने संगोष्ठी में सम्मिलित विद्वानों के समक्ष व्यक्त किये। 

गोष्ठी के प्रमुख व्याख्यान कर्ता प्रो. ऋषभचंन्द्र जैन वैशाली ने कहा कि जीवात्मा जिस पर्याय अर्थात् जीव में होती है उसी के शरीर प्रमाण होती है। चींटी है तो चींटी प्रमाण और गज है तो हाथी प्रमाण। किन्तु आत्मा को मुक्ति प्राप्त करने के लिए साधना, त्याग, तपस्या करना आवश्यक है। प्रमुख वक्ता वक्ता डॉ. महेन्द्रकुमार जैन मनुज इंदौर ने अपने विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मोक्ष मार्ग सम्यक्दर्शन, सम्यकग्ज्ञान और सम्यक् चारित्र इन रत्नत्रय रूप है, यही त्रिफला औषधि के समान संसार रूप बीमारी से उवार कर मुक्ति रूपी सुस्वास्थ में पहुंचा सकता है। तपश्चरण तो तीर्थंकर अर्थात् जो भगवान् होने वाले होते हैं उन्हें भी करना पड़ता है। यह त्रिदिवसीय संगोष्ठी सम्यक् श्रुत पीठ के तत्त्वावधान में उपसर्गजयी परम पूज्य गणाचार्य आचार्य श्री विरागसागर महाराज के परम शिष्य परम पूज्य वाक्केशरी श्रमणाचार्य श्री विनिश्चयसागर जी महाराज के सानिध्य में संपन्न हुई। इसका विषय था ‘आत्मा की मोक्ष उपलबधता एक चिन्तन’।

संगोष्ठी की अध्यक्षता पं. विनोद कुमार रजवांस ने की, चित्र अनावरण- श्री अक्षय जैन, टीकमगढ़ ने किया, दीपप्रज्ज्वलन श्री अखलेश जैन टीकमगढ़ ने, मंगलाचरण श्रीमती माधुरी जैन जयपुर ने किया। 

विशिष्ट अतिथि – डॉ. सुदर्शन लाल जैन, भोपाल थे। ब्र. समता दीदी, इंदौर ने मुख्य वक्ता के रूप में अपने आलेख का वाचन किया। सारस्वत अतिथि डॉ. सनत कुमार जैन, जयपुर,  प्रो. टीकमचंद जी जैन, दिल्ली, प्रति. पं. पवनकुमार जैन दीवान मुरैना थे। प्रमुख अतिथि थे बा. ब्र. श्रीपाल भैयाजी, सि. उदयचंद जैन, खरगापुर, कपिल जैन आडीटर, जिला पंचायत टीकमगढ़ थे। संयोजन सुनील प्रसन्न शास्त्री हटा, संचालन डॉ. निर्मल शास्त्री टीकमगढ़ ने व आभार प्रदर्शन वीरचंद्र जैन नेकौरा ने किया।

-डाॅ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’, इन्दौर